किष्किंधा काण्ड
• मंगलाचरण
• श्री रामजी से हनुमानजी का मिलना और श्री राम-सुग्रीव की मित्रता
• सुग्रीव का दुःख सुनाना, बालि वध की प्रतिज्ञा, श्री रामजी का मित्र लक्षण वर्णन
• सुग्रीव का वैराग्य
• बालि-सुग्रीव युद्ध, बालि उद्धार, तारा का विलाप
• तारा को श्री रामजी द्वारा उपदेश और सुग्रीव का राज्याभिषेक तथा अंगद को युवराज पद
• वर्षा ऋतु वर्णन
• शरद ऋतु वर्णन
• श्री राम की सुग्रीव पर नाराजी, लक्ष्मणजी का कोप
• सुग्रीव-राम संवाद और सीताजी की खोज के लिए बंदरों का प्रस्थान
• गुफा में तपस्विनी के दर्शन, वानरों का समुद्र तट पर आना, सम्पाती से भेंट और बातचीत
• समुद्र लाँघने का परामर्श, जाम्बवन्त का हनुमान्जी को बल याद दिलाकर उत्साहित करना, श्री राम-गुण का माहात्म्य
• श्री रामजी से हनुमानजी का मिलना और श्री राम-सुग्रीव की मित्रता
• सुग्रीव का दुःख सुनाना, बालि वध की प्रतिज्ञा, श्री रामजी का मित्र लक्षण वर्णन
• सुग्रीव का वैराग्य
• बालि-सुग्रीव युद्ध, बालि उद्धार, तारा का विलाप
• तारा को श्री रामजी द्वारा उपदेश और सुग्रीव का राज्याभिषेक तथा अंगद को युवराज पद
• वर्षा ऋतु वर्णन
• शरद ऋतु वर्णन
• श्री राम की सुग्रीव पर नाराजी, लक्ष्मणजी का कोप
• सुग्रीव-राम संवाद और सीताजी की खोज के लिए बंदरों का प्रस्थान
• गुफा में तपस्विनी के दर्शन, वानरों का समुद्र तट पर आना, सम्पाती से भेंट और बातचीत
• समुद्र लाँघने का परामर्श, जाम्बवन्त का हनुमान्जी को बल याद दिलाकर उत्साहित करना, श्री राम-गुण का माहात्म्य